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दमदार अभिनय, दमदार 3 डी इफेकट्स और विजुअल इफेक्ट्स के साथ बेहतरीन इतिहासिक फिल्म तानाजी द अनसंग वारियर स्टार 4

फिल्म : तानाजी द अनसंग वारियर 
निर्देशक : ओम राउत 
निर्माता- अजय देवगन, भूषण कुमार
कास्ट : अजय देवगन, सैफ अली खान, शरद केरकर, काजोल 
स्टार : 4 ****
समीक्षक : पुष्कर ओझा 
इतिहासिक फिल्मों की बात करे तो अक्सर बोरिंग और उबाऊ लगने लगती हैं पर निर्देशक ओम राउत बखूबी इतिहास के उस महत्वपूर्ण पन्ने को उजागर करने की एक अच्छी कोशिश की हैं फिल्म में हर रस को गोल गोल के पिलाने के साथ एक मधुर स्वाद के साथ दिया गया हैं फिर रोमांस, थ्रिल, एक्शन, या विश्वासघात और वह भी ३डी इफेकट्स में शानदार नज़र आया हैं | 
कहानी : हमने आपने पढ़ा ही होगा "गढ़ आया पर सिंह गया" ४ फरवरी १६७० सिंहगढ़ से छत्रपती शिवाजी महाराज के दाहिने हाथ तानाजी मालसुरे  उसी युध्द  को दर्शाती फिल्म औरगजेब (ल्यूक केनी ) मुगलिया परचम को लहराने की रणनीति बना रहा है दक्षिण में शिवाजी महाराज(शरद केलकर) ने स्वराज्य  के २३ किल्ले वचन में मुग़ल को सौप दिए हैं | दूसरी और जांबाज योद्धा सूबेदार तानाजी मालसुरे (अजय देवगन) अपनी पत्नी सावित्रीबाई (काजोल) के साथ अपने बेटे की शादी की तयारियों में लीन जिसे यह खबर नहीं है की वही राजमाता जीजाबाई ने कोंडाणा का किला मुगलों के हवाले किया था, उसी वक्त उन्होंने शपथ ली थी कि जब तक इस किले पर दोबारा भगवा नहीं लहराएगा, तब तक वे पादुका नहीं पहनेंगी। यहाँ औरंगजेब अपने  बहादुर चतुर चालाक प्यादे उदयभानु राठोड(सैफ अली) एक बड़ी तोप जिसे नागिन नाम दिया गया को लेकर मराठा साम्राज्य का खात्मा करने  के लिए आगे बढ़ रहा है | 
कहानी इतिहास के उस पन्ने की है, जहां औरंगजेब (ल्यूक केनी) पूरे हिंदुस्तान पर मुगलिया परचम को लहराने की रणनीति बना रहा है और दक्खन (दक्षिण) शिवाजी महाराज(शरद केलकर) अपने स्वराज्य को लेकर ली गई कसम के प्रति कटिबद्ध है। इतिहास में यह युद्ध (4 फरवरी 1670) को सिंहगढ़ का युद्ध के नाम से दर्ज है। 17वीं शताब्दी में शिवाजी महाराज का परममित्र और जांबाज योद्धा सूबेदार तानाजी मालसुरे (अजय देवगन) अपनी पत्नी सावित्रीबाई (काजोल) के साथ अपने बेटे की शादी की तयारियों में व्यस्त हैं। वे इस बात से अंजान है कि पुरंदर संधि में कोंडाणा किले समेत 23 किलों को मुगलों के हवाले कर देने के बावजूद मुगलिया सल्तनत की प्यास नहीं मिटी है। जिस वक्त राजमाता जीजाबाई ने कोंडाणा का किला मुगलों के हवाले किया था, उसी वक्त उन्होंने शपथ ली थी कि जब तक इस किले पर दोबारा भगवा नहीं लहराएगा, तब तक वे पादुका नहीं पहनेंगी। औरंगजेब अपने खास, विश्वासपात्र और बर्बर प्यादे उदयभानु राठोड(सैफ अली) को भारी-भरकम सेना और नागिन नामक एक बड़ी तोप के साथ कोंडाणा किले की और कूच करने का आदेश देकर मराठा साम्राज्य का खात्मा करने का मन बना चुका है।यही से शुरू हुई कहानी तानाजी को खबर हो गयी की मराठा स्वराज और शिवाजी महाराज खतरे में है अपने बेटे की शादी से पहले भगवा लहराने और उदयभानु का खात्मा करने निकल पड़ते हैं  आगे आप फिल्म में देखना क्या है तानाजी उन पन्नो की दास्तान को | 
निर्देशन : ओम राउत ने हर किरदार के साथ हर फ्रेम को बड़े ही बारीकी से संजोया साथ में वीएफएक्स का तड़का भी लगाया वह भी लाजवाब नज़र आया यहाँ तक विजुअल इफेक्ट्स आपके रोंगटे खड़े कर देता है |  
संगीत अब अजय अतुल जैसे संगीतकार हो और शंकरा रे शंकरा, तानना सांग हो और है गांव की कोरियोग्राफी  भी कबीलेटरीफ हैं 
अभिनय : अजय देवगन और सैफ अली खान उम्मदा अभिनय किया हैं सैफ हलाकि हालफिलहाल की फिल्मों से उनके अभिनय को लेकर बहुत कुछ कहा जा रहा था पर तानाजी के उदयभान ने अब उन सब की मुँह पर ताला लगा दिया उनका क्रूरता उनका विश्वासघात उनका गुस्सा यहाँ तक कॉमेडी करना भिसत ही दमदार डाइलोग को सुन और देख लगड़ा त्यागी याद आ गया | 
 
फिल्म देखनी हो तो ३डी में ही देखने में आनंद आएगा |